अभिषेक हत्याकांड, टीआई की लगातार अनुपस्थिति पर कोर्ट हुआ सख्त, कहा क्यों न अवमानना का प्रकरण दर्ज कर की जाए कार्रवाई

बहुचर्चित अभिषेक हत्याकांड के मामले में सुनवाई के दौरान गवाह पुलिस निरीक्षक की लगातार अनुपस्थिति पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने गवाह से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा है कि क्यों ने उनके खिलाफ न्यायालय के आदेश का पालन न करने के संबंध में अवमानना का प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाए। साथ ही प्रकरण में अभियोजन पक्ष के राज्य अधिवक्ता को आदेशित किया है कि वे अपनी जवाबदारी पर गवाह को अगली सुनवाई तिथि पर उपस्थित रखे। प्रकरण पर अगली सुनवाई तिथि 2 नवंबर निर्धारित की गई है।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। लगभग चार वर्ष पूर्व हुए अभिषेक हत्याकांड पर जिला न्यायाधीश की अदालत में विचारण किया जा रहा है। प्रकरण में तत्कालीन पुलगांव थाना प्रभारी नरेश पटेल की गवाही का प्रतिपरीक्षण शेष है। इसके लिए अदालत द्वारा 11 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की गई थी। इससे पूर्व भी निर्धारित तिथि पर भी निरीक्षक नरेश पटेल प्रतिपरीक्षण के लिए अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे। उन्होंने स्वस्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए उपस्थिति में असमर्थ होने की जानकारी अदालत को दी थी। पुलिस निरीक्षक को 11 अक्टूबर को उपस्थित होने के लिए 3 अक्टूबर को अदालत द्वारा संसम जारी किया गया था, लेकिन 10 अक्टूबर तक समंस की तामिली नहीं कराई जा सकी। 11 अक्टूबर को प्रकरण के आरोपी विकास जैन, किम्सी कंबोज जैन तथा अजीत सिंह को जेल से कोर्ट लाया गया था। वहीं राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेश चंद्र शर्मा, प्रार्थी निशांत त्रिपाठी की ओर से अधिवक्ता राजकुमार तिवारी, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता उमाभारती साहू व बीपी सिंग उपस्थित हुए थे।
पुलिस निरीक्षक नरेश पटेल की लगातार अनुपस्थिति को सत्र न्यायाधीश जी. के. मिश्रा ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में थाना प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगा जाए कि क्यों न उनके खिलाफ आदेश का पालन न करने के संबंध में अवमानना का प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाए। इस पर राज्य अधिवक्ता द्वारा पुन: साक्ष्य के लिए अवसर दिए जाने का निवेदन अदालत से किया गया। जिस पर आपत्ति करते हुए बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि राज्य अधिवक्ता जान बूझकर इस मामले के निराकरण में विलंब करना चाहते है। बचाव पक्ष ने साक्ष्य के लिए पुन: अवसर दिए जाने पर आपत्ति जाहिर की।
दोनों पक्षो को सुनने के बाद न्यायाधीश जी.के. मिश्रा ने कहा कि राज्य अधिवक्ता को आदेशित किया जाता है कि वे अपनी जवाबदारी पर गवाह को आगामी तिथि पर उपस्थित रखे। चाहे तो समंस पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तामिल करावें और नियत तिथि से पूर्व तामिली प्रतिवेदन प्रस्तुत करे। साक्ष्य प्रस्तुत न करने की दशा में अभियोजन साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया जाएगा। जिसके लिए पुलिस अधीक्षक व विशेष लोक अभियोजक जिम्मेदार होगें।

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