नाबालिग को शादी का झांसा देकर घर से भगा ले जाने और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने वाले आरोपी को न्यायालय द्वारा कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले पर विचारण फास्ट टे्रक कोर्ट में किया गया था। विशेष न्यायाधीश मधु तिवारी ने अपने फैसले में कहा है कि अवयस्क की सहमति से भी बनाए गए संबंध का कोई विधिक महत्व नहीं है। इस मामले में न्यायालय ने किशोरी की अपहरण कर उसके साथ संबंध बनाने के आरोप में युवक को विभिन्न धाराओं के तहत कुल 18 साल के कारावास से दंडि़त किया गया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक पुष्पारानी पाढ़ी ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला दुर्ग थाना क्षेत्र का है। किशोरी को अपने प्रेमजाल में फंसा कर आरोपी सीताराम उर्फ लल्लू सतनामी (23 वर्ष) 1 जून 2016 को भगा ले गया था। किशोरी के लापता होने की परिजनों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर पतासाजी प्रारंभ की थी। गुमशुदगी के लगभग डेढ माह पश्चात 27 जुलाई 2015 को किशोरी रायपुर रेलवे स्टेशन में किशोरी व लल्लू के साथ घूमते पुलिस को मिली। पुलिस ने नाबालिग को बरामद कर उसके परिजनों के सुपुर्द किया। नाबालिग ने पुलिस को बताया कि आरोपी उसे शादी का झांसा देकर अपने साथ ले गया था। इस दौरान उसके द्वारा शारीरिक संबंध भी बनाए। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर उसे जेल भेज दिया था। प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।
प्रकरण पर विचारण के पश्चात विशेष न्यायाधीश मधु तिवारी ने आरोपी सीताराम उर्फ लल्लू को नाबालिग के वैध संरक्षकों की अनुमति के बिना साथ ले जाने और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का दोषी पाया। मामले में आरोपी को दफा 363 व 366 के तहत 4-4 वर्ष व 1000-1000 रु. के अर्थदंड तता दफा 376 (2)(झ) के तहत 10 वर्ष के कारावास से तथा 1000 रु. के अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजाएं एक साथ चलेगी।