नई दिल्ली। कर्नाटक में लिंगायतों के बग़ावती तेवर ने सत्तारूढ़ बीजेपी की नींद उड़ा दी है। आरक्षण की मांग को लेकर बेलगावी में विधानसभा के नज़दीक हजारों की संख्या में पंचमसाली लिंगायत एकत्र हुए। ये अपने लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। प्रमुख कद्दावर लिंगायत नेता व पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और मौजूदा मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई भी इन्हें संतुष्ट करने में नाकाम रहे।
बेलगावी में विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को शहर में पंचमसाली लिंगायतों का जमावड़ा लगा। ये 2A केटेगरी यानी 15 फीसदी आरक्षण के स्लैब में रखे जाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल वीरशेवै लिंगायतों को 3B केटेगरी के तहत 5 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। पंचमसाली लिंगायतों की इस मुहिम के दो अहम चेहरे हैं वरिष्ठ लिंगायत बीजेपी नेता बसवन गौड़ पाटिल और महा मृत्युंजय स्वामी। इन दोनों के तीखे तेवर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
लिंगायत बीजेपी विधायक बसवन गौड़ पाटिल ने कहा, “बोम्मई पर जो भरोसा हमने दिखाया। उसका आज आखरी दिन है। हमें भरोसा नही है कि विधानसभा इस सेशन में (आरक्षण को लेकर) कुछ फैसला हो पाएगा। आने वाले चुनाव में हम लोग फैसला लेंगे कि क्या करना है?”
बता दें, लिंगायतों में 102 उप जातियां हैं। किसानों और कृषि क्रियाकलापों और व्यवसाय से जुड़े लिंगायत पंचमसाली लिंगयत कहलाते है, इनकी आबादी लिंगायतों की आबादी का तक़रीबन 60 फीसदी है। मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने पंचमसालियो के तेवर को भांपकर पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जय प्रकाश हेगड़े को तलब किया है जिन्होंने आरक्षण को लेकर कानूनी पहलू और अनुशंसाए बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री को सौंपी हैं।
सीएम बोम्मई ने कहा, “पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े ने आज मुझे सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट आरक्षण पर सौंपी है। मैं कानून और संसदीय कार्य मंत्री माधुसवामी से चर्चा करके इस बारे में सकारात्मक निर्णय लूंगा।” पंचमसालियो के आरक्षण बढ़ाने की मांग पर कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें चर्चा के बाद ये फैसला हुआ कि अगली बैठक में इस बारे में कानूनी अड़चनों को दूर कर फैसला लिया जाएगा।
बता दें, लिंगायतों के ऐसे विरोध का सामना बीजेपी पहली बार कर रही है। यह आवाज भी उत्तर कर्नाटक से उठ रही है, जो लिंगायतों का गढ़ है। पंचमसाली लिंगायत, प्रमुख वीरशैव-लिंगायत समुदाय का एक उप-संप्रदाय है। माना जाता है कि बीजेपी की इस समुदाय के वोटरों में तगड़ी पैठ है। ऐसे में इनकी नाराजगी विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी पड़ सकती है।