छत्तीसगढ़ की पहचान बनेगें गौठान, मिल रही गौ रक्षण व संवर्धन को नई दिशा

आज के बदलते परिवेश में लोग पशुपालन से दूर होते जा रहे हैं। पशुपालन को पेचिदा और झंझट भरा व्यवसाय समझने लगे हैं। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौ-संवर्धन और पशुपालन को छत्तीसगढ़ की प्रमुख पहचानों में शामिल करते हुए नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी योजना लागू की है। योजना लागू होने से जहां एक ओर गौ-संवर्धन और संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। वहीं राज्य की आर्थिक समृद्धि का सूत्र भी बनेगा।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी योजना लागू होने से पशुपालन के प्रति लोगों में रूझान बढ़ा है। साथ ही साथ पशुओं के लिए गौठान संकट मोचन बना है। पहले गाय सहित अन्य पशु जहां सड़कों सहित अन्य स्थानों में बिना किसी देख-रेख के लावारिस हालत में देखे जाते थे। वहीं अब गौठान के बनने से पशुओं को रहने का उचित प्लेट फार्म मिल रहा है। गौठान समिति व चरवाहों की उचित देख-रेख में पशुओं को रखा जा रहा है।
अमलीडीह गौठान में 500 से अधिक पशु संरक्षित
विकासखण्ड पाटन के ग्राम पंचायत अमलीडीह में बना गौठान पशुओं के लिए संकट मोचन का काम कर रहा है। गौठान में 500 से अधिक पशु रह रहे हैं। 4.5 एकड़ भूमि में गौठान एवं 7.5 एकड़ भूमि में चारागाह का निर्माण किया गया है। गौठान में 12 वर्मी कम्पोस्ट एवं 12 नापेक डेम का निर्माण किया गया है। पशुओं को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए दो बड़ी-बड़ी कोटना का निर्माण किया गया है। साथ ही दो पशु शेड एवं तीन मचान का निर्माण किया गया है। गौठान के चारों ओर 400 से अधिक पौधारोपण किया गया है। पानी की समुचित सुविधापूर्वक उपलब्ध कराने के लिए सोलर पम्प लगाए गए हैं।

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