शिवसेना विवाद : उद्धव गुट को झटका, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से किया इंकार

नई दिल्ली। शिवसेना के उद्धव ठाकरे ग्रुप को बड़ा झटका लगा है। चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही चलती रहेगी। पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला किया है। असली शिवसेना कौन? पीठ को इस पर फैसला करना है। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर दावा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं लगेगी। उद्धव ठाकरे ग्रुप की अर्जी खारिज कर दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई पांच घंटे तक की। शिवसेना बनाम शिवसेना मामले की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की। पिछली सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि सवाल यह है कि इस मामले में चुनाव आयोग का दायरा तय किया जाएगा। लेकिन एक सवाल है कि क्या चुनाव आयोग को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं, तो ऐसे में हम अर्जी पर विचार कर सकते है।

उद्धव ठाकरे कैंप की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 10वीं अनुसूची के मद्देनजर पार्टी में किसी गुट में फूट का फैसला आयोग कैसे कर सकता है, यह एक सवाल है। वे आयोग के पास किस आधार पर गए हैं? कोर्ट को तय करना है कि जबतक विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं कर लेता, चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह पर फैसला कर सकता है या नहीं। शिंदे कैंप की ओर से नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने चुनाव चिन्ह की कार्रवाई का सुप्रीम कोर्ट में चल रही कार्रवाई से कोई लेना देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की शक्ति पर सुनवाई है जो चुनाव आयोग के सामने कार्रवाई से पूरी अलग है।
कपिल सिब्बल ने इस मामले की बहस की और जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिब्बल से पूछा कि शिंदे ने चुनाव आयोग में कब अर्जी दी और किस हैसियत से दी। सदन के सदस्य होने के तौर पर या पार्टी के सदस्य के तौर पर? सिब्बल ने इसपर कहा कि चुने हुए सदस्य के तौर पर। पूरे विवाद की शुरुआत 20 जून से हुई जब शिवसेना का एक विधायक एक सीट हार गया, विधायक दल की बैठक बुलाई गई।फिर उनमें से कुछ गुजरात और फिर गुवाहाटी चले गए। उन्हें उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था और एक बार जब वे उपस्थित नहीं हुए तो उन्हें विधान सभा में पद से हटा दिया गया था।