मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि सबके लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य जल्द पूरा हो। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी की भागीदारी जरूरी है।
रायपुर (छत्तीसगढ़) । क्रिटिकल केयर और मेडिसीन विषय पर राजधानी रायपुर में शनिवार से प्रारंभ हुई डॉक्टरों की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस ‘क्रिटिकॉन 2019’ में राज्य शासन की फ्लैगशिप योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी पर भी चर्चा हुई। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से आग्रह कर इस योजना के बारे में जानकारी ली और योजना में गहरी रूचि दिखाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि राज्य में लोगों को बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में भी सहज-सरल उपचार के लिए ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े इस दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने क्रिटिकॉन 2019 के आयोजन की सराहना की। मुख्यमंत्री ने इस कॉन्फ्रेंस में आए देश-विदेश के चिकित्सकों का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने कॉन्फ्रेंस में नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के दौर में केवल छत्तीसगढ़ या भारत देश ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है। इस योजना में नरवा के अंतर्गत नालों को रिचार्ज कर पानी सहेजने, गरूवा के माध्यम से पशुधन का जतन कर उन्हें किसानों के लिए लाभप्रद बनाने, घुरवा के माध्यम से कम्पोस्ट, वर्मी खाद और गोबरगैस के उत्पादन को बढ़ावा और बाड़ी योजना के माध्यम से कुपोषण की चुनौती का मुकाबला किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सक यह भलीभांति जानते हैं कि खेती किसानी में रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड के बढ़ते उपयोग से नई-नई बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना जैविक खेती को बढ़ावा देकर बीमारियों को कम करने कृषि उत्पादों का लागत मूल्य कम करने और खेती-किसानी को लाभप्रद बनाने तथा पर्यावरण और सेहत सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। श्री बघेल ने बताया कि प्रदेश के सभी गांवों में अगले पांच वर्षों में गौठान निर्माण की योजना पर राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। हर गांव में तीन से पांच एकड़ में गौठान और पांच से दस एकड़ में चारागाह विकसित कर पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की जाएगी। गौठानों में पानी और चारे की व्यवस्था के साथ कम्पोस्ट, वर्मी खाद का उत्पादन होगा और गोबर गैस प्लांट लगाए जाएंगे। गौठानों में पशुओं के रहने से फसलों को बचाने में आसानी होगी।