दुर्ग (छत्तीसगढ़)। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि जब बारिश की अनिश्चितता हो तब बारिश की एक एक बूंद को सहैजना महत्वपूर्ण होता है। इसलिए राज्य में नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना लागू की गई है। हम इसरो की मदद से नालों को रिचार्ज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब में 5 नदियां हैं जिन्हें सहेज कर वे 3 बार फसल लेते हैं। छत्तीसगढ़ में छोटी-बड़ी 255 नदियां हैं और 3000 नाले हैं। फिर भी सिंचाई केवल 30 फीसदी है।
मुख्यमंत्री पाटन में मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज द्वारा आयोजित डॉ. खूबचंद बघेल जयंती समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल की भी यही सोच थी । छत्तीसगढ़ की मिट्टी अमूल्य संसाधनों वाली है, उचित कार्ययोजना से हम सतत् विकास की दिशा में बढ़ पाएंगे। हमारे लिए आधारिक संरचना का विकास बेहद जरूरी है लेकिन उससे भी जरूरी है हमारे मानव संसाधन का कुशल संवर्धन। हम सबसे ज्यादा शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, रोजगार सृजन की ओर लक्ष्य कर कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल के सम्मान में आयोजित इस समारोह में यह संकल्प लें कि अपने राज्य को नई ऊंचाई देना है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पेरिस में वर्ल्ड योग में सिल्वर मेडल लेकर आने वाले ग्राम मर्रा के धीरेंद्र वर्मा का सम्मान भी किया।
किसानों की समृद्धि से ही राज्य की समृद्धि संभव
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को आर्थिक रूप सशक्त करने की दिशा में सक्रिय है। इसलिए कर्जमाफी और 2500 रुपये में धान खरीदी जैसे निर्णय लिए गए हैं।इससे किसानों की क्रय शक्ति बढ़ी है। बाजार को भी इसका लाभ पहुंचा है। जहां दूसरे राज्यों में ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रोथ कमजोर हुई, वहीं छत्तीसगढ़ में 25 फीसदी इजाफा हुआ है। बरसों से किसान अपने खेतों के सुधार के लिए काम करना चाहते थे, इस बार उनको इसके लिए पर्याप्त पूंजी मिली साथ ही वे आश्वस्त भी हुए कि भविष्य में भी उनकी उपज को अच्छा मूल्य मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत किये बगैर सुराज नहीं आ सकता। वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगे तो शिक्षा स्वास्थ्य जैसा सूचकांक भी बेहतर होगा।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति का प्रचार प्रसार जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी अपनी विशिष्टता भी हमारे महत्वपूर्ण स्थलों में नजर नहीं आती थी। हमने निर्णय लिया कि हमारी संस्कृति की खुशबू दूसरे राज्य के लोग भी महसूस कर सकें। छत्तीसगढ़ भवन, दिल्ली में जाएंगे तो आपको वहां ठेठरी खुरमी खाने मिल जाएगा। हमने कहा है कि छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की व्यवस्था एयरपोर्ट पर तथा रेलवे स्टेशन पर भी होनी चाहिए। हमारा कोसा सिल्क छत्तीसगढ़ भवन में भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि हमने अपने छत्तीसगढ़ी त्योहारों पर अवकाश घोषित किया है। इस बार हरेली में गेड़ी भी चढ़ेंगे और बिल्लस भी खेलेंगे। – 0004
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