बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पिछले 96 दिनों से धरने पर बैठे ग्रामीणों से मिलने प्रदेश के पंचायत, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पहुंचे। सरगुजा के हरिहरपुर गांव में ग्रामीणों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि घने जंगलों का विनाश करके कोयला खनन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर ग्रामीण एक राय रहे तो उनकी जमीन कोई नहीं ले सकता।
पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, आज पूरी दुनिया कोयले से बिजली बनाने का विकल्प आजमा रही है। केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2030 तक कोयला आधारित बिजली के उत्पादन को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस स्थिति में हसदेव जैसे जंगलों का विनाश नहीं होना चाहिए। कोयला ऐसी जगहों से भी निकाला जा सकता है जहां जंगल नही हैं। सिंह देव ने कहा, गांव के लोग एक राय रहें तो आपकी जमीन कोई नहीं ले सकता है। फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर मिली वन स्वीकृति को गलत बताते हुए उन्होंने कहा, जब गांव के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं तो इसका साफ मतलब है कि उन्होंने पहले भी खनन की सहमति नहीं दी थी। प्रशासन को फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। एक दिन पहले ही यहां हजारों लोगों ने जुटकर हसदेव के जंगल को बचाने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया था।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने हसदेव के लिए संघर्ष कर लोगों से बात की। उन्होंने कहा, आपका आंदोलन आज सिर्फ हरिहरपुर नहीं बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। मुझे गुजरात से कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि वहां के आदिवासी, “हसदेव’ पर उनसे सवाल पूछ रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने हरिहरपुर की सभा में कहा, आज मैने देखा कंपनी के लोग ग्राम बासेन में खदान के समर्थन में लोगों को मुझसे मिलवाने लाए थे। उन्हें गाड़ियों में भरकर प्रभावित क्षेत्र से बाहर से लाया गया था। मुझे ठीक नही लगा और इस पर नाराजगी व्यक्त की।
घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन पोर्ते ने कहा, अनिश्चिकालीन धरने पर बैठे हुए आज हमे 96 दिन हो गए हैं। हमारी ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद कोयला खनन परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। हरिहरपुर के बालसाय कोर्राम ने कहा कि हम अपने जंगल-जमीन का विनाश नही चाहते। ग्रामीणों ने कहा कि सभी गांव के सरपंच और पंच यहां मौजूद हैं। प्रशासन की ओर से किसी भी ग्रामीण से फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जांच हेतु बयान नही लिया गया। जांच के लिए कोई अधिकारी गांव में आया ही नहीं। फिर कलेक्टर कैसे कह रहे है कि जांच हो गई है और ग्रामसभा सही है। उन्हाेंने कहा, प्रशासन निष्पक्ष कार्यवाही नही कर रहा है।
बता दें कि हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक समृद्ध जंगल है। करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं। हाथी तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा जैसे जीव, 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई गई है।
इसी इलाके में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला खदान आवंटित है। इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटा जाना है। वहीं दो गांवों को विस्थापित भी किया जाना है। स्थानीय ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। 26 अप्रैल की रात प्रशासन ने चुपके से सैकड़ों पेड़ कटवा दिए। उसके बाद आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया। अभी प्रशासन ने फिर पेड़ काटे हैं। विरोध बढ़ता जा रहा है।