रायपुर (छत्तीसगढ़)। प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर से एक दिलचस्प मामला सामने आया है। यहां न्याय के लिए एक बकरे को थाना ले जाना पड़ गया। जिसके बाद दो पक्षों के बीच जारी विवाद सुलझा और बकरे को तीसरा पक्ष लेकर चला गया।
मामला बिलासपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। जहां बकरे की कथित रूप से बलि दिए जाने के मामले ने विवाद का रूप धारण कर लिया था। एक पक्ष का आरोप था कि दूसरा पक्ष बकरे को मगरपारा स्थित मरिमाई मंदिर में बलि देने जा रहे था। इस पर दूसरे पक्ष ने सफाई दी, लेकिन विवाद इतना बढ़ गया कि मामला थाने तक पहुंच गया।
मरिमाई मंदिर के मुख्य पुजारी और पूर्व महापौर उमाशंकर जायसवाल का कहना था कि मंदिर में बलि की प्रथा सालों से बंद है। बकरे की बलि नहीं दी जा रही थी। वहीं विरोध में थाने पहुंचे लोगों का आरोप है कि बलि देने वालों और पुजारी की मिलीभगत से मंदिर में बकरा ले जाया जा रहा था।
दोनों पक्षों की सिविल लाइन थाना प्रभारी के कमरे में भी जमकर बहस की। जिसके बाद सिविल लाइन थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों की बात सुनकर बकरे को तीसरे पक्ष एक एनजीओ की निधि तिवारी को सुपुर्द किए जाने का निर्णय लिया। एनजीओ की सदस्यों ने लिखित में बकरा को अपने कब्जे में लिया और वहां से चले गए।

