दुर्ग (छत्तीसगढ़)। 4 साल की मासूम के साथ गंदी हरकत किए जाने के मामले में अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है। अदालत ने इस मामले में छोटा-बड़ा नाम के दो सगे भाईयों को जिंदगी भर के कारावास से दंडित किए जाने का निर्णय दिया है। अदालत ने बड़े भाई जहां मासूम के साथ हरकत करने तथा छोटे भाई उसे इसके लिए दुष्प्रेरित करने का दोषी करार दिया है। मामले की पीडि़त को प्रतिकर के रुप में 4 लाख रुपए प्रदान किए जाने का निर्देश भी अदालत ने दिया है। प्रकरण पर अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
मामला भिलाई नगर थाना क्षेत्र का है। भिलाई के एक सेक्टर की पीडि़त मासूम 20 अक्टूबर 2018 की शाम अपने 7 वर्षीय भाई के साथ झूला के पास खेल रही थी। तभी उसी सेक्टर के ही रहने वाले आरोपी भाई बड़ा व छोटा मौके पर पहुंचे। बड़ा बालिका को लेकर पास की झाडियों के पीछे चले गया और छोटा ने उसके भाई के सिर से पकड़ कर रखा था। झाडिय़ों को पीछे बड़ा ने मासूम के नाजुक संवेदनशील अंग में ड़ांडी तीन चार बार डांडी डाली। जिसके बाद दोनों भाई मौके से भाग गए। पीडि़ता के माता पिता काम पर गए हुए थे। इस घटना के 20-25 दिनों बाद मासूम ने पेशाब करने के दौरान दर्द होनो की जानकारी अपनी मां को दी। पूछताछ करने पर भाई-बहन ने अपने साथ बड़ा-छोटा द्वारा की गई हरकत की जानकारी दी गई। जिसके बाद 12 नवंबर 2018 को घटना कि शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी अजय कुमार उर्फ बड़ा (23 वर्ष) तथा राहुल कुमार उर्फ छोटा (20 वर्ष) के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था।
प्रकरण पर विचारण फास्ट टे्रक कोर्ट विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सरिता दास की अदालत में किया गया। प्रकरण पर विचारण पश्चात आरोपी अजय कुमार उर्फ बड़ा (23 वर्ष) को 4 वर्ष की मासूम के नाजुक अंग में डांडी डालकर उसके साथ लैंगि अपराध करने तथा राहुल कुमार उर्फ छोटा (20 वर्ष) के इस कार्य के लिए दुष्प्रेरित करने का दोषी करार दिया गया। अभियुक्त अजय कुमार को दफा 376 (कख) के तहत पूरे प्राकृत जीवन काल के कारावास तथा 5 हजार रुपए अर्थदंत तथा राहुल कुमार को भी दफा 376 (कख)/114 के तहत दोषी करार देते हुए परे प्राकृत जीवन काल के लिए कारावास व 5 हजार रुपए के अर्थदड़ से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। दोनों ही अभियुक्त इस मामले में गिरफ्तारी 13 नवंबर 2018 के बाद से फैसला सुनाए जाने की तिथि तक जेल में निरूद्ध है।

