दुर्ग (छत्तीसगढ़)। एमजीएम स्कूल में मासूम बच्चियों के साथ अश्लील हरकत किए जाने के बहुचर्चित मामलों में से अदालत ने आज एक और मामले में फैसला सुनाया है। अदालत ने मामले के मुख्य आरोपी को पूरे प्राकृत जीवन तक जेल में रखने की सजा सुनाई है। हालांकि इस प्रकरण में घटना की जानकारी होने के बावजूद बच्चियों के हित में उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के आरोप से दो शिक्षिकाओं को संदेह का लाभ देतें हुए दोष मुक्त कर दिया गया है। यह एमजीएम स्कूल के खिलाफ पांचवा मामला था, जिस पर फैसला सुनाया गया है। इस प्रकरण में भी पीड़ित बच्ची को 4 लाख रुपए प्रतिकर राशि प्रदान किए जाने का आदेश अदालत ने दिया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मो. अरशद खान ने पैरवी की थी।
यह प्रकरण मामले के मुख्य आरोपी स्कूल स्वीपर एस. सुनील के साथ हेड मिस्ट्रेस प्रतिभा होल्कर, पीड़ित बच्ची की क्लास टीचर सुवर्णा कौर (32 वर्ष) के खिलाफ विचाराधीन था। बता दें कि एमजीएम स्कूल में मासूम बच्चियों के साथ गंदी हरकत किए जाने का मामला वर्ष 2016 में सामने आया था। स्कूल में कार्यरत स्वीपर एस. सुनील द्वारा बच्चियों के साथ बाथरूम में अश्लील हरकत के साथ उनके संवेदनशील अंगों में उंगली से छेड़छाड़ की जा रही थी। स्वीपर द्वारा लगातार की जा रही इस हरकत से परेशान बच्चियों ने इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी थी, जिस पर परिजनों ने स्कूल प्रबंधन सहित प्रिंसपल को इस घटना की जानकारी दी थी, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने किसी प्रकार की कार्रवाई करने की बजाए शिकायतकर्ता पालकों को ही धमकाना प्रारंभ कर दिया था। जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन प्रारंभ कर दिया था। मामला बिगड़ते देख भिलाई नगर पुलिस ने पालको की शिकायत के आधार पर फरवरी 2016 को स्वीपर एस. सुनील (28 वर्ष), प्रिंसपल डेनियल वर्गिस (60 वर्ष), प्रबंधन के साजन थामस (49 वर्ष) तथा प्रधान पाठिका प्रतिभा होलकर (54 वर्ष), क्लास टीचर सुंदरी नायक (30 वर्ष), सुवर्ण कौर (32 वर्ष) के खिलाफ अलग अलग मामलों में पाक्सों एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। विवेचना पश्चात मासूमों से गंदी हरकत किए जाने की अलग-अलग शिकायतों के आधार पर भिलाई नगर पुलिस ने कुल पांच प्रकरण अदालत के समक्ष विचारण के लिए प्रस्तुत किए थे।
सभी प्रकरणों पर विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट की विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी की अदालत में किया गया। इन पांच में से चार प्रकरणो पर 13 सितंबर को फैसला सुनाया गया था। विचारण के दौरान पीडि़त बच्चियों ने मामले के मुख्य आरोपी एस. सुनील कुमार को गंदे अंकल के रुप में संबोधित किया था। चार फैसलों में न्यायाधीश ने स्वीपर एस. सुनील को दफा 376 (2)(च) के तहत पूरे प्राकृत जीवन तक के कारावास तथा 5000 रुपए अर्थदंड़ की सजा से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया था। वहीं स्कूल प्रिंसपल डेनियल वर्गिस को दफा 202 तथा पाक्सों एक्ट की धारा 21(1) के तहत एक वर्ष कारावास व 20 हजार रुपए अर्थदंड़ तथा साजन थामस, प्रतिभा होलकर, सुंदरी नायक को 6-6 माह के कारावास व 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडि़त किया गया है। शेष विचाराधीन एक मामले में आज फैसला आया है। जिसमें मुख्य आरोपी एस. सुनील को 376(2)(आई) के तहत दोषी करार देते हुए पूरे प्राकृत जीवन भर के कारावास व 5 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। वहीं अदालत के समक्ष यह साबित नहीं हो पाया कि पीड़ित बच्ची के साथ उसके परिजनों द्वारा बच्ची के साथ हुई अश्लील हरकत की जानकारी क्लास टीचर सुवर्ण कौर अथवा हेड मिस्ट्रेस प्रतिभा होल्कर को दी थी। जिसके आधार पर संदेह का लाभ देते हुए दोनों को आरोपों से दोष मुक्त कर दिया गया।
