पोषण रैली : दुर्ग में दिखा बड़ा उत्साह, एक्टिवा चलाकर विधायक-महापौर-कलेक्टर ने की अगुवाई

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कुपोषण से लड़ाई को लेकर दुर्ग जिले के नागरिक, प्रतिनिधिगण एवं अधिकारी कितना जज्बा और संकल्प रखते हैं यह आज राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत हुई पोषण रैली में दिखा। इसकी अगुवाई करने खुद विधायक अरूण वोरा, महापौर धीरज बाकलीवाल और कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने एक्टिवा चलाई। कलेक्टोरेट से यह रैली निकली और शहर के महत्वपूर्ण लैंडमार्क से निकलती हुई मानस भवन में पहुंची। पीछे-पीछे महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं थीं।

इस मौके पर विधायक वोरा ने कहा कि बाइक रैली में जिस तरह से आप सभी का उत्साह दिखा है, उससे पता चलता है कि कुपोषण के विरुद्ध हम सब कितने संकल्पित हैं। आप सभी इस क्षेत्र में बेहद शानदार काम कर रहे हैं। गांधी जयंती के अवसर पर जब मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान आरंभ हुआ तब हम सबने संकल्प लिया था कि कुपोषण को दूर करने पूरी मेहनत से काम करेंगे। इसका जमीनी असर दिखा है। हमारे बच्चे सुपोषित होंगे तभी तो हम देश का भविष्य गढ़ सकेंगे। महापौर धीरज बाकलीवाल ने कहा कि बच्चों के पोषण का असर उनके मानसिक शारीरिक विकास पर पड़ता है। यह सबसे प्राथमिकता का कार्य है। इस उम्र में हम बच्चों पर जितना ज्यादा ध्यान देंगे, उनकी बढ़त उतनी ही अच्छी होगी।

कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का क्रियान्वयन हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके लिए डीएमएफ के माध्यम से हमने पहल की है। जनप्रतिनिधियों के सहयोग से और महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टाफ की मदद से इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की गई है। यह कार्य बेहद संवेदनशील था और मुझे खुशी है कि हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने कोरोना के कठिन दौर में लाकडाउन के बावजूद अपनी सेवाएं जारी रखीं। बच्चों तक रेडी टू ईट फूड पहुँचाया। कुपोषित बच्चों की मानिटरिंग करती रहीं। आज इस पोषण रैली में आपके साथ भागीदारी करने में बहुत खुशी हो रही है। इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे। श्री जैन ने इस मौके पर बताया की सभी नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों में पोषण रैली निकाली गई।
बता दें कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान जिले में 2 अक्टूबर 2019 से आरंभ हुआ था। उस वक्त वजन त्योहार से जो आंकड़े आये उनमें बच्चों के कुपोषण का प्रतिशत जिले में 15.71 था और कुपोषित बच्चों की संख्या 15413 थी। अभियान आरंभ होने के बाद अब कुपोषण का प्रतिशत 13.49 रह गया है और कुपोषित बच्चों की संख्या 12322 है। इस प्रकार इस अवधि में तीन हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के दायरे से बाहर आये हैं।
इस योजना के अंतर्गत 6 माह से 54 माह के कुपोषित बच्चों तथा एनीमिक शिशुवती माताओं को गर्म भोजन, मूंगफली, सोया, गुड़ की चिक्की प्रदान की गई। हर दिन 10217 कुपोषित बच्चों को एवं 263 एनीमिक शिशुवती माताओं को इससे लाभान्वित किया जा रहा है। इसमें लगभग 2 करोड़ 63 लाख रुपए की राशि का व्यय आ रहा है। योजना की प्रभावी मानिटरिंग के लिए हमारा सुपोषित दुर्ग साफ्टवेयर बनाया गया है।