दुर्ग (छत्तीसगढ़)। सवा तीन साल की मासूम को हवस का शिकार बनाने वाले आरोपी को अदालत ने जिंदगी की अंतिम सांस तक कारावास में रखे जाने का फैसला सुनाया है। आरोपी गांव में चरवाहे का काम करता था और मासूम को पेप्सी खिलाने का लालच देकर इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया था। मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की विशेष न्यायाधीश सरिता दास ने पीड़ित मासूम को प्रतिकर के रुप में 4 लाख रुपए प्रदान किए जाने का आदेश भी दिया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
घटना पाटन थाना क्षेत्र के एक गांव की है। गांव के चरवाहे भोकू उर्फ ओमप्रकाश यादव (23 वर्ष) ने इस कृत्य को अंजाम दिया था। 1 मई 2018 की दोपहर पीड़ित मासूम गांव के दुर्गा मंच के पास खेल रही थी। इसी दौरान आरोपी चरवाहे भोकू ने उसे 20 रुपये दिए और गुटका व पेप्सी लाने कहा। मासूम अपनी दादी के दुकान से सामान लेकर वापस लौटी तो चरवाहा उसे बहला फुसला कर पास के आंगनबाड़ी केन्द्र ले गया और उसके साथ जबरदस्ती की। घर वापस आने पर मासूम को उल्टी होने लगी। कारण पूछने पर पीड़िता ने अपनी मां को भोकू द्वारा की गई हरकत की जानकारी दी। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस में की गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
अदालत ने खारिज की बचाव पक्ष की दलील
प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सरिता दास की अदालत में किया गया। प्रकरण में मासूम के साथ जबरदस्ती किए जाने की पुष्टि मेडिकल अधिकारियों द्वारा अदालत के समक्ष की गई। वहीं अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें तर्क दिया गया था कि अपने माता-पिता के बहकावें में आकर बच्ची यह आरोप लगा रही है। जिस पर अदालत ने कहा कि बच्चे भगवान का रुप होते हैं। लोभ, कपट, द्वेष, बेइमानी, अनुचित लाभ आदि दुर्भावनाएं विद्यमान नहीं होती है। साथ ही घटना के समय पीड़ित मासूम बालिका थी, उसके द्वारा इस प्रकार के झूठे आक्षेप लगाए जाएंगे, यह अपने आप में विश्वसनीय प्रतीत नहीं होता है। अदालत ने आरोपी भोकू उर्फ ओमप्रकाश यादव (23 वर्ष) को दफा 376 कख के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास (पूरे प्राकृत जीवन तक) कारावास तथा 5 हजार रुपए अर्थदण्ड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। प्रकरण में अभियुक्त को 2 मई 2018 तक गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद से वह फैसला सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध है।