माता-पिता अपने बच्चों को शोषण से बचाने पॉक्सो ई-बाक्स के बारे में दें जानकारी, बनाएं जागरूक

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम नागरिकों को बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों और उनके रोकथाम की जानकारी न्यायिक अधिकारियों द्वारा दी गई। जिसमें बताया गया कि इस प्रकार के अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है। जिसमें सजा के कड़े प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों के साथ बच्चों को भी इस एक्ट के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। साथ ही बच्चों को पॉक्सो ई-बाक्स की जानकारी दी जाए, जिसके माध्यम से प्रभावित बच्चें अपनी शिकायत बिना किसी को बताए दर्ज कर सकें।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व जिला सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव  के मार्गदर्शन व निर्देशन इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का आयोजन किया गया था। कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हए, एडीजे राकेश वर्मा, विवेक वर्मा एवं अविनाश के. त्रिपाठी  द्वारा ऑनलाइन वीसी से पॉक्सो कानून के संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि पॉक्सोे, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम का संक्षिप्त नाम है। पॉक्सो एक्ट-2012 के अंतर्गत बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पाॅक्सो एक्ट-2012 बनाया था। देश में बच्चियों के साथ बढ़ती दरिंदगी को रोकने के लिए पॉक्सोे ऐक्ट-2012 में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। नए संशोधनों के तहत स्कूल, केयर होम और ऐसे अन्य संस्थानों में कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु पुलिस सत्यापन को अनिवार्य करने के साथ कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किये गए हैं।

कहा जाता है बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बच्चों के साथ किसी तरह का गलत व्यवहार उनके जीवन को अंधेरे में धकेल सकता है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर कई तरह की दिक्कतों से होकर गुजरना पड़ सकता है। अपराधी नियम-कानून को ताक पर रखकर मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं। बच्चों के साथ छेड़छाड़, रेप, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों पर रोक लगाने के लिये पॉक्सो ई-बाक्स प्रारंभ किया गया है। यदि आपके बच्चों को कोई गलत तरीके से छूता है, गलत हरकतें या गन्दी बातें करता है और उन्हें गन्दी तस्वीरें दिखाता है तो बच्चे बिना किसी को बताये स्वयं ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिला सकते हैं।
माता-पिता भी अपने बच्चों को पॉक्सो ई-बाक्स के बारे में बताएं और उन्हें जागरूक बनाएं, यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों की मदद करें, शोषण का शिकार होने से अपने बच्चों को बचाएं और दोषियों को पॉक्सो एक्ट के तहत सजा दिलाएं। पॉक्सो एक्ट लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई भी विशेष अदालत में की जाएगी। बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकना ही हमारा कर्तव्य है।
न्यायाधीशगण ने बताया कि इस कानून के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी एवं कठोर सजा का प्रावधान है। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुराचार होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के तहत आता है। पॉक्सो के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस की यह जवाबदेही हैं कि पीड़ित का मामला 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए, जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके, इसके साथ ही बच्चे की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं। ये मेडिकल परीक्षण बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और पीड़ित अगर लड़की है तो उसकी मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए।