बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में एक बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने आदेश में कहा है कि एससी-एसटी एक्ट में प्रारंभिक जांच ठीक नहीं है। यह कानून के प्रावधान के खिलाफ है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह बात कही थी। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, हाईकोर्ट ने भी एससी-एसटी एक्ट में प्रारंभिक जांच करने को गलत बताया है। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ सरपंच ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
यह है मामला
कोरबा जनपद सीइओ जीपी मिश्रा के खिलाफ सरपंच ने यह याचिका दाखिल की थी। सरपंच चंद्रशेखर मंझवार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि जनपद सीईओ कोरबा जीपी मिश्रा ने उसके साथ जातिगत गाली गलौज की थी. जिस पर उसने इस मामले की शिकायत अजाक थाने में की थी। सरपंच ने आरोप लगाया कि शिकायत के बाद एक हवलदार ने एससी-एसटी एक्ट की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी। जिसके बाद सीईओ के खिलाफ कोई प्रमाण ना मिलने की बात कहकर सीईओ को मामले में क्लीन चिट भी दे दी। सरपंच ने अपने अधिवक्ता राहिल अरुण कोचर के माध्यम से याचिका दायर की सरपंच के वकील ने इस केस में यूनियन ऑफ इंडिया वर्सेस महाराष्ट्र एवं अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला दिया। जिस पर होईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानते हुए सरपंच की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया और सीईओ को दी गई क्लीन चिट को निरस्त करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं कि वह सेक्शन 200 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराए।
