दुर्ग (छत्तीसगढ़) आनंद राजपूत। पिछले तीन वर्षों से बंद दादाबाड़ी मार्ग को पुनः चालू करवाने के लिए राजनीति गरमाने लग है। इस मार्ग को खुलवाने के आमदी मंदिर वार्ड के भाजपा पार्षद नरेश तेजवानी ने आज सांकेतिक धरना दिया। उन्होंने चेतावनी दी है कि मार्ग को खुलवाने के लिए निगम प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। पार्षद ने इस मार्ग के विवाद का निराकरण नहीं किए जाने के लिए शहर विधायक अरुण वोरा और महापौर धीरज बाकलीवाल को जिम्मेदार ठहराया है।
बता दें कि निगम प्रशासन द्वारा निजी जमीन पर सिंधी कालोनी से दादाबाड़ी जाने वाले मार्ग को बना दिया गया था। जमीन का मुआवजा नहीं दिए जाने के कारण जमीन मालिक अग्रवाल द्वारा इस संबंध में न्यायालय में अपील की थी और फैसला उनके पक्ष में आया था। जिसके बावजूद निगम प्रशासन द्वारा मुआवजा की राशि का भुगतान नहीं किया गया और वर्ष 2018 में हाइकोर्ट के आदेश पर निगम को जमीन का आधिपत्य भू-स्वामी को सौंपना पड़ा था। जिसके बाद भू-स्वामी ने अपनी निजी जमीन पर भवन निर्माण कार्य की अनुमति मांगी थी, जिसे निगम द्वारा अनुमति प्रदान कर दी गई है। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।
आपको याद दिला दें कि निगम प्रशासन द्वारा जमीन का मुआवजा नहीं दिए जाने पर निचली अदालत ने वर्ष 1983 में भू-स्वामी की अपील पर इसका निराकरण करने का आदेश दिया था। जिसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह मामला फिर से गरमाया। राज्य में भाजपा की सरकार और दुर्ग निगम में भाजपा की सरोज पांडेय, डॉ शिव कुमार तमेर, चंद्रिका चंद्राकर के महापौर होने के बाद भी 20 वर्ष तक इसका निराकरण नहीं किया गया। अंततः वर्ष 2018 में बिलासपुर हाइकोर्ट ने भू-स्वामी की अपील पर भूमि को मालिक के हेंडओवर करने का आदेश निगम प्रशासन को दिया था। महापौर चंद्रिका चंद्राकर के कार्यकाल में इस मार्ग को बंद कर भूमि का आधिपत्य सौंप दिया गया था। अब भू-स्वामी द्वारा अपनी निजी जमीन पर निर्माण कार्य कराए जाने पर मामले को राजनैतिक रंग दिया जाने लगा है।
