अब बाबा रामदेव ने उठाए ज्योतिष पर सवाल, ज्योतिषाचार्यों ने कहा खो दिया है मानसिक संतुलन

नई दिल्ली। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर बाबा रामदेव द्वारा दिए गए बयान से उपजा विवाद अभी थमा नहीं था कि बाबा ने अब ज्योतिष को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। जिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए डॉक्टरों के साथ ज्योतिषाचार्यों ने भी बाबा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ज्योतिषाचार्यों ने कहा है कि रामदेव ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा गया है कि उनकी गलतियां माफी योग्य नहीं है। इसका विरोध करने खुद काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के विद्वान मुखर होकर सामने आ गए हैं।

जानिए क्या कहा रामदेव ने
बाबा रामदेव ने एक कार्यक्रम में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के बाद ज्योतिष पर भी सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा है कि सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं, लेकिन ज्योतिषी काल, घड़ी और मुहूर्त के नाम पर लोगों को बनाते रहते हैं। बाबा रामदेव ने तो यहां तक कह दिया है कि ज्योतिषी कोई छोटी-मोटी इंडस्ट्री नहीं है, बल्कि ज्योतिषी एक लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री है। यही नहीं बाबा रामदेव ने अपने साधकों से बात करने के दौरान कहा कि ज्योतिष कुछ नहीं है, अगर ज्योतिष कुछ होता तो नोटबंदी, कोरोना संक्रमण और अब ब्लैक फंगस के बारे में पहले भविष्यवाणी क्यों नहीं की।
नवप्रवेशी छात्र के साथ शास्त्रार्थ की चुनौती
इस बारे में बीएचयू के विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय ने कहा कि स्वामी रामदेव ने ज्योतिष के ऊपर आरोप लगाया है और ऐसा पहली बार नहीं है। पहले भी वह ज्योतिष शास्त्र को झूठ और पाखंड बताते रहें हैं और ऐसा वही व्यक्ति कर सकता है जिसको इस विषय का कुछ भी ज्ञान न हो और जिसको अपनी वास्तविकता से सरोकार न हो। उन्होंने कहा कि क्योंकि बाबा रामदेव प्रत्येक कुंभ में शिविर लगाते हैं। उनसे पूछा जाए, कि अगर ज्योतिष को हटा दिया जाए तो कुंभ का निर्धारण कौन करेगा। एकादशी के व्रत को कौन बताएगा। रामदेव गीता, वेद, पुराण, शास्त्र पढ़ने का दावा करते हैं। क्या रामदेव यह सब पढ़कर सर्वज्ञानी हो गए है। और तो और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को भी पढ़ चुके हैं। क्योंकि उसके ऊपर भी आरोप लगाते हैं। प्रोफेसर ने कहा कि दुनिया के सभी विषयों में से जिनको रामदेव ने पढ़ लिया है, उसी को समझते है। बाकि सभी को वे पाखंड बताते हैं। बीएचयू की कक्षा में नया प्रवेश लेने वाले से भी रामदेव शास्त्रार्थ नहीं कर सकते। क्योंकि रामदेव को ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान नहीं है। अगर ऐसा है तो खुले तौर पर मैं रामदेव को अपने यहां किसी भी नवप्रवेशी छात्र के साथ ज्योतिष के विषय में शास्त्रार्थ की चुनौती देता हूं। रामदेव को इसका ज्ञान नहीं है। वह केवल व्यापार बढ़ाने के लिए ऋषियों द्वारा बनाए गए शास्त्र की निंदा कर रहे हैं।  
सनातन धर्म पर कुठाराघात
ज्योतिषाचार्यों ने बाबा रामदेव ने ज्योतिष को लेकर जो बयान दिया है, उसे ज्योतिषाचार्यों ने सनातन धर्म पर कुठाराघात बताया है। कुछ ज्योतिषियों ने यहां तक कहा है कि बाबा रामदेव अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं या फिर उन्हें अहंकार आ गया है।
वेद का नेत्र है ज्योतिष
भारतीय प्राचविद्या सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ प्रतीक मिश्रपुरी ने बाबा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि ज्योतिष वेद का एक अंग है। ज्योतिष को वेद का नेत्र कहा गया है, ऐसे में जो व्यक्ति वेद को नहीं मानता है, उसे योगी या आत्मज्ञानी होने का दावा पेश नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेद के 6 अंगों में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुप्त, छंद और ज्योतिष शामिल है। ज्योतिष वेद का छठवां अंग है और यह वेद का नेत्र कहा जाता है। ऐसे में जो व्यक्ति ज्योतिष को नहीं मानता है, वह सनातन धर्म का अपमान कर रहा है।
64 विद्याओं में से एक विद्या है ज्योतिष
ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी ने बताया कि ज्योतिष एक विज्ञान है। ऐसे में ज्योतिष को लेकर अगर कोई अनर्गल बात करता है तो वो देशभर में ज्योतिष को लेकर एक भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है। जोकि सनातन धर्म के खिलाफ है। साथ ही सुभाष जोशी ने बताया कि 64 विद्याओं में से ज्योतिष एक विद्या है। ज्योतिष एक प्रमाणिक विद्या है। ऐसे में ज्योतिष को लेकर इस तरह का बयानबाजी करना सनातन धर्म पर कुठाराघात करने जैसा है।