दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शहर के विभिन्न वार्डों में जलापूर्ति के लगातार प्रभावित होने की समस्या पर निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने गंभीर रवैया अख्तियार किया है। आयुक्त ने जलापूर्ति व्यवस्था की जिम्मेदारी को सम्हालने वालों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बता दें कि नगर पालिक निगम दुर्ग के पटरीपार सहित अन्य वार्डो में लगातार पानी की सप्लाई की समस्या बनी हुई है । जिसका निराकरण करने आयुक्त हरेश मंडावी द्वारा प्र. सहा. अभियंता ए.आर. राहंगडाले और जलकार्य निरीक्षक नारायण ठाकुर को समय-समय पर निर्देशित किया गया, लेकिन समस्या निकारण के प्रति रूचि नहीं दिखाई गई। वार्डो में पेयजल उपलब्धता की समस्या से आम नागरिक परेशान है। इस स्थिति के कारण जनप्रतिनिधि एवं आम नागरिकों में काफी आक्रोश है।
आयुक्त ने इस कृत्य को अनुशासनहीनता के साथ घोर लापरवाही एवं गैरजिम्मेदारी मानते हुए दोनों अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर जवाब प्रस्तुत करने निर्देशित किया है। समाधानकारक एवं समयावधि में जवाब प्रस्तुत नहीं होने की दशा में छ0ग0सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) 1966 के नियम 10 (4) के तहत् कार्यवाही की जावेगी।
वाल्व क्रय में विलंब से बनी यह स्थिति
बताया जा रहा है कि प्र. सहा. अभियंता द्वारा जलप्रदाय के संबंध में वाल्व क्रय से संबंधित नस्ती आयुक्त के समक्ष विलंब से प्रस्तुत की गई। जिसके कारण सुधारीकरण कार्य में विलंब हुआ और कई क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न हो गई । आरोप है कि जानबूझकर नस्ती लंबित रखा गया था।
ठगड़ाबांध सौदर्यीकरण कार्य में स्वेच्छाचारिता पर जताई नाराजगी
आयुक्त मंडावी द्वारा आज 2 जून को नगर पालिक निगम दुर्ग द्वारा ठगड़ाबांध सौदर्यीकरण कार्य का निरीक्षण किया गया। जिसमें उन्होंने पाया कि निर्देशों का पालन न करके स्वेच्छाचारिता से कार्य किया जा रहा। जबकि इस संबंध में उन्होनें कार्य के नोडल अधिकारी कार्यपालन अभियंता मोहनपुरी गोस्वामी को बांध की मिट्टी खुदाई एवं कार्य का सतत् विडियोग्राफी कराने तथा वहाॅ चलने वाले चैन माउंटेन /हाईवा का लाॅगबुक संधारण एवं लेवल के आधार पर मिट्टी खुदाई का पर्याप्त दस्तावेज प्रमाण रखने कहा था। जिससे किये गए कार्यो का सही मूल्यांकन हो सके। जिसके लिए उन्होंने कार्यपालन अभियंता को सूचना पत्र जारी किया है। जिसमें ईई गोस्वामी को पुनः निर्देशित किया गया है कि वे निर्देशों का पालन करें। अन्यथा उक्त दस्तावेज के बिना कार्य का भुगतान न होने की स्थिति में वे स्वयं व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार होगें और भविष्य में उक्त कार्य की वसूली उनके वेतन से की जा सकेगी।