ममता बनर्जी की हार, सीएम बनने में नहीं बन सकती रोड़ा, जानिए क्या है नियम

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल का चुनावी रण अब शांत हो गया है। विधानसभा के नतीजे ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के पक्ष आए हैं। ऐसे में एक बार फिर बंगाल में ममता ने ‘खेला’ कर दिया है। जिसके बाद एक बार फिर टीएमसी की सरकार बहुमत से सत्ता में आ गई हैं। तृणमूल कांग्रेस ने जीत की हैट्रिक लगा दी है। लेकिन बंगाल की जीत की बनी खीर में उस वक्त नमक पड़ गया, जब हाईवोल्टेज सीट नंदीग्राम से ममता बनर्जी के हार की देर रात खबर आई।


ऐसे में ज्यादातर लोगों के जहन में एक सवाल उठ रहा है कि अगर अब ममता बनर्जी चुनाव हार गईं तो अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमत्री कैसे बनेगी और कैसे वहां की सत्ता संभालेगी।
ममता बनर्जी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है और वे कड़े मुकाबले में सुवेंदु अधिकारी से 1957 वोटों से हार गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले उन्हें जीता हुआ घोषित किया गया और बाद में दबाव में चुनाव आयोग ने फैसला पलटा। वे चुनाव आयोग के खिलाफ कोर्ट जाएंगीं।
यह है नियम
वैसे सीएम बनने के लिए विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का सदस्य होना जरूरी है। अगर सदस्य नहीं है तो शपथ लेने के छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी होता है। नियमों के अनुसार मुख्यमंत्री पद की शपथ बिना विधायक रहते ली जा सकती है। इसके बाद मुख्यमंत्री को 6 महीने का वक्त मिलता है। इस तय समय सीमा के अंदर उनका विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।
यह हैं बिना विधायक रहते मुख्यमंत्री बनने वाले नेता – उद्धव ठाकरे(महाराष्ट्र), लालू प्रसाद यादव (बिहार), योगी आदित्यनाथ (यूपी), नीतिश कुमार (बिहार), राबड़ी देवी (बिहार), कमलनाथ (एमपी), तीरथ सिंह रावत (उत्तराखंड)।