अभिषेक मिश्रा हत्याकांड़, 31 मार्च को आएगा फैसला, बचाव पक्ष ने पुलिस विवेचना पर उठाएं सवाल

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। ट्विन सिटी के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड़ पर फैसले की तारीख करीब आ गई है। मामले में अदालत द्वारा 31 मार्च को फैसला सुनाया जाएगा। यह फैसला जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव की अदालत में सुनाया जाएगा। गंगाजली एज्युकेशन सोसायटी के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या के आरोप में किम्सी जैन (कंबोज) तथा उसके पति विकास जैन, चाचा अजीत सिंह के खिलाफ अदालत में अपराधिक षडयंत्र रचने (120 बी), हत्या करने (302) और हत्या के बाद साक्ष्य को छुपाने (201) के आरोपों के तहत प्रकरण विचाराधीन है।

मामले पर बचाव पक्ष व अभियोजन पक्ष के बीच दो दिन हुई बहस के बाद विचारण प्रक्रिया आज समाप्त हुई। जिसमें अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेश चंद्र शर्मा तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता बीपी सिंग व उमाभारती उपस्थित रहें। अधिवक्ता बीपी सिंह ने इस दौरान प्रकरण पर पुलिस द्वारा की गई विवेचना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पूरा प्रकरण महज मेमोरेंडम बयान पर आधारित है और पुलिस यह भी बताने में अक्षम है कि मेमोरेंडम किसने लिखा है। इस संबंध में प्रकरण के विवेचना अधिकारी टीके साहू से पूछे जाने पर वे अदालत को यह बताने में असफल रहे कि मेमोरेंडम कथन किसने लिखा है। बचाव पक्ष ने पुलिस की जब्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए। वहीं बचाव पक्ष के सवाल पर अभियोजन पक्ष यह भी स्पष्ट नहीं कर पाया कि जिस स्थान से शव का उत्खनन किया गया था, उस स्थान की ओर इशारा करने वाला नकाबधारी कौन था। इसके अलावा तहसीलदार को शव उत्खनन कराएं जाने का अधिकार नहीं होने के बावजूद इस प्रक्रिया को तहसीलदाल पूनम सोनी द्वारा किए जाने को भी बचाव पक्ष ने गलत ठहराया। बचाव पक्ष ने कहा कि शव उत्खनन के एक दिन पहले ही यह बात सार्वजनिक हो गई थी कि स्मृति नगर के एक मकान से मानव शव बरामद हुआ है और समाचार पत्रों में भी इस संबंध में प्रकाशन हो गया था। जबकि पुलिस का कहना है कि शव की बरामदगी आरोपियों की निशानदेही पर की गई है। वहीं बचाव पक्ष ने बरामदगी स्थल में किराए पर रहने वालीं महिला अनीता अग्रवाल द्वारा अदालत में दिए गए कथन का हवाला देते बताया कि जिस स्थान से शव बरामद हुआ था, वह स्थान ओपन प्लेस था, जहां किसी का भी आना संभव है। वहीं पुलिस इसे बंद क्षेत्र बता रही है। बचाव पक्ष ने आरोपियों के मोबाइल टावर लोकेशन को भी संदिग्ध बताया।
महज फोन पर बात करना अपराध नहीं
बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीपी सिंग ने अदालत को बताया कि पुलिस द्वारा किम्सी को फोन पर मृतक अभिषेक से महज बातचीत के आधार पर आरोपी बनाया है। पुलिस का आरोप है कि अभिषेक को किम्सी ने हत्या के उद्देश्य से बुलाने फोन किया था। जबकि किम्सी द्वारा अभिषेक से टेनिस स्पांसरशिप को लेकर प्राय: बात होती रहती थी। मात्र इस आधार पर किम्सी हत्या की सूत्रधार नहीं ठहराया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के 65 साइटेशन किए पेश
बचाव पक्ष के अधिवक्ता बीपी सिंग द्वारा अपनी दलीलों के समर्थन में शीर्ष अदालत के 65 साइटेशन (न्याय दृष्टांश) पेश किए गए। साथ ही महाभारत व रामायण के प्रसंगों का हवाला देते हुए बताया कि श्रीराम ने भी सुग्रीव से मित्रता की थी और उसकी पत्नी के साथ दुराचार करने वालें बाली का वध किया था। वहीं अर्जुन ने भी श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी के साथ दुराचार करने वालों का वध किया था। कुछ इसी प्रकार का संबंध इस प्रकरण में भी है।