दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मासूम बच्चों का रक्षक बनने की बजाए भक्षक बनने के आरोप बच्चों की मां द्वारा उनके पिता पर लगाया गया था। इस मामले में अदालत ने आरोपी को जमानत का लाभ देने से इंकार कर दिया है। आरोपी पिता पर अपनी साढ़े तीन साल की मासूम बिटिया और साढ़े चार साल के मासूम बेटे के साथ हैवायित करने का आरोप है। जेल में निरुद्ध आरोपी पिता की ओर से जमानत के लिए लगाए गए पहले आवेदन को विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि अपने ही घर में अपने ही पिता के साथ असुरक्षित व शोषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए आरोपी पिता को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है। अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत इस जमानत आवेदन का विरोध विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने किया था।
बीज मैंने बोया हैं, फल भी मैं ही खाऊंगा
बता दें कि यह मामला 1 फरवरी 2018 को सामने आया था। नगर कोतवाली में पीडि़त मासूमों की मां ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया था कि साढ़े तीन साल की पुत्री व साढ़े चार साल के पुत्र के संवेदनशील अंगों के साथ उनका पिता यौन संबंधी घृणित हरकतें करता है। जिसका विरोध किए जाने पर पिता कहता था कि मैने बीज बोया है तो फल भी मै ही खाऊंगा। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 376(क)(ख) तथा पॉक्सों एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था।
तीन साल बाद हुई गिरफ्तारी
मामले की विवेचना पश्चात आरोपी पिता को पुलिस ने लगभग तीन साल बाद गिरफ्तार किया था। शिकायत की विवेचना पूर्ण होने के बाद पुलिस ने आरोपी को 8 जनवरी 2021 को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया था। जहां से उसे न्यायायिक अभिरक्षा के तहत जेल भेज दिया गया था।
पत्नी ने भी किया था जमानत का विरोध
जमानत आवेदन पर विचारण के दौरान पीडि़त बच्चों की मां स्वयं अदालत में उपस्थित रही। विवाहिता ने अपने पति को जमानत पर रिहा किए जाने लिखित आपत्ति पेश की गई। जिसमें निवेदन किया गया था कि आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने पर पीडि़त पुत्री के भविष्य पर खतरा हो सकता है।