दुर्ग (छत्तीसगढ़)। दहेज प्रताडऩा से त्रस्त होकर विवाहिता द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में न्यायालय द्वारा पति व सास को 7-7 वर्ष के कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया गया है। वहीं उन्हें संदेह का लाब देते हुए दहेज हत्या के आरोप से दोष मुक्त करार दिया गया। यह फैसला आज द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश रामजीवन देवांगन की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक ललित देशमुख ने पैरवी की थी।
मामला सुपेला थाना क्षेत्र के राजीव नगर का है। राजीव नगर निवासी पेशे से इलेक्ट्रिशियन विकास उर्फ राहुल सिंह (28 वर्ष) का विवाह कविता सिंह के साथ 3 दिसंबर 2017 को हुआ था। विवाह के बाद कविता को उसका पति व सास सुनैना बाई (60 वर्ष) दहेज में 50 हजार रु. की मांग कर प्रताडि़त करने लगे थे। जिससे परेशान विवाहिता ने शादी के महज 6 माह बाद ही 24 मई 2018 की देर रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में पुलिस ने 304 बी, 302, 306 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
मां ने दी थी समझाइश
प्रकरण पर विचारण के दौरान विवाहिता के भाई कमल किशोर सिंह ने न्यायालय को बताया कि आत्महत्या करने से पूर्व विवाहिता ने अपनी मां कुसुम सिंह से लगभग एक घंटे बात की थी। जिसमें उसने रोते हुए बताया था कि उसके ससुराल वाले उसे घर से निकाल जाने की बात कह रहे है। जिस पर मां ने उसे समझाइश देते हुए कहा था कि वे सेवेरे आकर उसके ससुराल वालों से बात करेंगे तब तक शांत रहे। इसके बाद उसके द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिए जाने की सूचना मिली।
अदालत ने सुनार्ई 7-7 साल की सजा
प्रकरण पर द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश रामजीवन देवांगन की अदालत में विचारण किया गया। विचारण पश्चात न्यायाधीश ने आरोपी पति विकास व सास सुनैना को विवाहिता को आत्महत्या के लिए प्रेरित किए जाने का दोषी माना। वहीं उन्हें संदेह का लाभ देते हुए दहेज हत्या की दफा 304 बी व 302 के आरोप से दोष मुक्त करार दे दिया गया। अभियुक्तों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की दफा 306 के तहत 7-7 वर्ष के कारावास व 500-500 रु. के अर्थदंड़ से दंडि़त किया गया है। अर्थदंड़ की राशि अदा नहीं किए जाने पर अभियुक्तों को एक-एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
