देश की आजादी में आंदोलन की अहम भूमिका, गोडसे-सावरकर समर्थक नहीं समझ सकते इसकी ताकत

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। किसान आंदोलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आंदोलनजीवी कहे जाने पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने इसे निहायत असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना बयान बताया है। उन्होंने कहा कि यह देश एक जनआंदोलन के कारण आजाद हुआ, जिसमें लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
आजादी के पहले कांग्रेस ने आजादी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन किया, जिसमें आंदोलन में किसान-मजदूर-अनुसूचित जाति-जनजाति-अल्पसंख्यक वर्ग सहित हर वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इसी आंदोलन के कारण देश आजाद हुआ। आजादी के बाद हर वर्ग के लोगों को न्याय देने की नीयत के साथ एक और आंदोलन हुआ जिसके बाद संविधान का निर्माण हुआ। ऐसे में आंदोलन की ताकत को कम करके आंकना भाजपा की बड़ी भूल है। राजेंद्र ने तीखे लहजे में कहा कि गोडसे और सावरकर को मानने वाले लोग, जो पूंजीपतियों के गुलाम हैं, वे आंदोलन को क्या समझेंगे।
राजेंद्र ने कहा कि देश के लाखों युवा पढ़-लिखकर कठोर मेहनत से इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, पुलिस, सेना सहित अन्य सेवाओं के माध्यम से देश को योगदान देते हैं। यह एक तरह का आंदोलन ही है जो युवाओं के देश सेवा के जज्बे से ओतप्रोत होता है। आंधी-तूफान हो या ठंड-बारिश को झेलकर किसान अपनी फसल उगाते हैं। उपज का उचित दाम मिलेगा या नहीं मिलेगा, ये सोचे समझे बिना किसान दिन रात मेहनत करता है। यह भी एक तरह का आंदोलन है। मजदूर-राजमिस्त्री से लेकर मेहनतकश वर्ग के लोग भी देश का निर्माण करने में अहम योगदान देते हैं जो किसी भी मायने में आंदोलन से कम नहीं है।
राजेंद्र ने कहा कि गोडसे और सावरकर को मानने वाले लोगों को देश की आजादी और नवनिर्माण से लेकर अब तक की तरक्की में आंदोलन की भूमिका समझ नहीं आ सकती। पूंजीपतियों के मोहजाल में फंसकर किसानों को आंदोलनजीवी कहना बेहद निंदनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में देश के अन्नदाताओं के प्रति जरा भी संवेदनशीलता होती तो वे कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे 70 से ज्यादा दिनों से आंदोलन में डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों के शहीद होने पर उन्हें आंदोलनजीवी न कहते, बल्कि किसानों की मांग को पूरा करने के लिए तीनों काले कानूनों को वापस लेने पर विचार करते। किसान हठधर्मिता नहीं कर रहे बल्कि पूंजीपतियों के इशारे पर सरकार हठधर्मी रवैया अपना रही है। इस अहंकार और हठधर्मिता को पूरा देश देख-समझ रहा है।