नई दिल्ली। पोक्सो एक्ट के दो फैसलों को लेकर चर्चा में आई बॉम्बे हाईकोर्ट की जज जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला के स्थायी जज के रुप में पुष्टि पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने यह फैसला लिया है। कॉलेजियम ने 20 जनवरी को स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पुष्टि की सिफारिश की थी, लेकिन बच्चों के साथ यौन शोषण के दो मामलों में विवादास्पद निर्णयों के बाद, एससी कोलेजियम ने अपनी सिफारिश को वापस लेते हुए अपने फैसले को पलट दिया है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी में बताया गया है कि जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। उनको एक्सपोज़र की ज़रूरत है और हो सकता है कि जब वह वकील थीं, तो इस प्रकार के मामलों से निपटा नहीं गया। जज को ट्रेनिंग की ज़रूरत है।
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला के फैसलों में से एक पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है। इस फैसले में कड़े पोक्सो कानून के तहत एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी गई है कि स्किन टू स्किन संपर्क नहीं है, इसलिए पोक्सो के तहत धारा नहीं लगाई जा सकती है और यह यौन हमले के समान नहीं है। उन्होंने अपने एक अन्य फैसले में एक व्यक्ति को यह कहते हुए राहत दी थी कि पांच साल की नाबालिग का हाथ पकड़ना और उनके सामने पैंट की जिप खोलना पोक्सो के तहत यौन हमले के समान नहीं है बल्कि आईपीसी की धारा 354 के तहत है।