शहरों में आदिवासी वर्ग के बेरोजगारों के लिए बनेंगे शापिंग माल, होगा रोजगार पर फोकस

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की बैठक में नगरीय क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के हितग्राहियों को व्यवसाय के लिए शापिंग माल बनाए जाने का निर्णय लिया गया। बैठक में तय किया गया कि रोजगारमूलक गतिविधियों का अधिकाधिक प्रसार किया जाएगा। बैठक में प्राधिकरण के अध्यक्ष भुनेश्वर बघेल ने कहा कि अनुसूचित जाति प्राधिकरण के माध्यम से उन क्षेत्रों में कार्य की पहल कर सकते हैं जहां अन्य मदों से कार्य की संभावना कम है। उदाहरण के लिए रोजगार सृजन का क्षेत्र, इसके लिए अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तरह के कार्य आरंभ करा सकते हैं। जिले की जरूरतों के अनुरूप कौशल संवर्धन कार्य करा सकते हैं। व्यवसाय के लिए सहायता दे सकते हैं। शापिंग काम्प्लेक्स आदि के माध्यम से व्यावसायिक परिसर भी उपलब्ध करा सकते हैं।
बैठक में सदस्यों ने राय रखते हुए कहा कि शासन की अनेक ऐसी योजनाएं होती हैं जिसमें हितग्राहियों को सब्सिडी मिलती है विशेष रूप से कृषि और उद्यानिकी की योजनाओं में। इसके बावजूद कई बार अंशदान नहीं जुटा पाने की वजह से हितग्राही इसका लाभ नहीं ले पाते। यदि आयोग की ओर से कुछ अंशदान तय कर दिया जाए तो हितग्राहियों की यह परेशानी दूर हो सकती है। बैठक में सदस्यों ने कहा कि जिन गाँवों में अथवा जिन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति की आबादी अधिक है। उनमें प्राधिकरण के अधिकतर कार्य कराए जाने चाहिए। बैठक में प्राधिकरण के कार्यों की मानिटरिंग के लिए जिला स्तर पर सेल बनाए जाने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में सदस्यों ने कहा कि प्राधिकरण से जुड़े निर्माण कार्यों के संबंध में आदिवासी विकास विभाग की मानिटरिंग जिम्मेदारियाँ बढ़ाई जाएं ताकि प्रभावी रूप से निर्माण कार्यों में तेजी लाने की दिशा में काम होता रहे।
नवाचार के लिए तैयार होगी रिपोर्ट
बैठक में अध्यक्ष ने कहा कि हम लोग अनुसूचित जाति के विकास के लिए काम कर रहे हैं। यह वर्ग तब मजबूत होगा जब शिक्षा और रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था होगी। इस संबंध में आयोग किस तरह से नवाचार कर सकता है। उसकी जरूरतों के मुताबिक जिलावार रिपोर्ट बनाई जाएगी। इस कार्ययोजना को आयोग के सदस्यों की सलाह से मुकम्मल किया जाएगा।