निरामय बस्तर : जिले के जन्मजात हृदय रोग ग्रसित बच्चों के निःशुल्क इलाज के लिए हुआ अनुबंध

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में आज बस्तर जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर रजत बंसल और सत्य सांई हेल्थ एंड एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमेन डॉ. सी श्रीनिवास ने अनुबंध किया। इस अनुबंध से बस्तर जिले के बच्चों के महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाकर निरामय बस्तर की कल्पना को साकार करने की ओर एक बड़ा कदम उठाया है। इस अवसर पर टाटा ट्रस्ट के श्रीनाथ नरसिम्हन भी उपस्थित थे।
बता दें कि निरामय बस्तर की कल्पना को साकार करने के लिए बस्तर जिला प्रशासन और श्री सत्य सांई हेल्थ एंड एजुकेशन ट्रस्ट के बीच जगदलपुर के सर्किट हाऊस में आयोजित एक सादे समारोह में यह अनुबंध किया गया। इस एमओयू में बस्तर कलेक्टर बंसल और सत्य सांई हेल्थ एंड एजुकेशन ट्रस्ट के चेयरमेन श्रीनिवास ने हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू की शर्तों के तहत बस्तर जिले के जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त बच्चों की पहचान और निःशुल्क उपचार किया जाएगा। जिसमें बस्तर जिले के जन्म से ही हृदय रोग से ग्रसित लगभग 77 हजार बच्चों का उपचार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसके अंतर्गत 0-6 वर्ष के बच्चों का ईकेजी युक्त विशेष एचडी स्टीथ से हृदय की जांच की जाएगी। जिससे समय पर जन्मजात हृदय रोग की पहचान एवं उपचार किया जा सके। टाटा ट्रस्ट एवं महारानी जिला अस्पताल साथ मिल कर बच्चों का इकोकार्डियोग्राफी, फीटल इको, एवं गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी की सुविधा दी जाएगी।
इसके साथ ही स्वस्थ मां-स्वस्थ बच्चा कार्यक्रम के तहत लक्ष्य- 3 हजार गर्भवती महिलाएं, 5 हजार किशोरियों को लाभान्वित करने के लिए भी करार किया गया है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नियमित हर महीने स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा गर्भवती की जांच, खून जांच पोषक आहार ’साई स्योर‘ का वितरण किया जाएगा। सुरक्षित गर्भावस्था एवं किशोरी स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी और कुपोषण मुक्त बस्तर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए-10 हजार बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा। कुपोषित बच्चों की पहचान कर शासन के सुपोषण अभियान में कदम से कदम मिला कर चलना, पोषक आहार ‘साई स्योर’ का वितरण, पोषण पुनर्वास केंद्र में सहयोग एवं नए कम्यूनिटी पोषण पुनर्वास की स्थापना की जाएगी। स्वास्थ्य कर्मचारियों का ट्रेनिंग के माध्यम से सशक्तीकरण किया जाएगा। इसके लिए 16 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम, 5 हजार स्वास्थ्य कर्मचारियों को जन्मजात हृदय रोग की जांच व पहचान करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, दाई को भी यह प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह सभी सेवाएं पूरी तरह निःशुल्क दी जाएगी।

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