मासूम के साथ अश्लीलता, युवक को अदालत ने किया 10 साल के कारावास से दंडि़त

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। पांच साल की मासूम के साथ अश्लील बातें व हरकत करने के आरोपी को न्यायालय द्वारा कुल 10 साल के कारावास से दंडि़त किया गया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) स्मिता रत्नावत की अदालत में सुनाया गया। मामले में पीडि़त द्वारा आरोपी पर मासूम के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए जाने का आरोप लगाया था, जिसे विचारण में न्यायालय ने गलत पाया। अभियुक्त को छेड़छाड़ की धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजेश साहू ने पैरवी की थी।
मामला जामुल थाना क्षेत्र का है। 13 अगस्त 2018 को आंगनबाड़ी से घर लौट रही पीडित मासूम को गांव का रहने वाला युवक संतोष ढीमर (36 वर्ष) अपने घर ले गया था। जहां मासूम के साथ अश्लील बातें करते हुए अश्लील हरकत की गई थी। घटना के समय मासूम के माता पिता खेत गए हुए थे। घर वापसी पर मासूम ने अपने साथ संतोष द्वारा की गई हरकत की जानकारी परिजनों को दी। जिसके बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा। जामुल पुलिस ने विवेचना पश्चात प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था।
प्रकरण पर विचारण न्यायाधीश स्मिता रत्नावत ने अभियुक्त को मासूम के साथ अश्लील बातें व हरकत करने का दोषी पाया। आरोपी को दफा 354 तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत 5-5 वर्ष के कारावास व 500-500 रु. के अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी। अभियुक्त संतोष ढीमर मामले में गिरफ्तारी के बाद से फैसला सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध है।
नहीं मिलेगा प्रतिकर का लाभ
अदालत ने कहा है कि आरोपित आरोप के संबंध में साक्ष्य विश्लेषण के उपरांत पीडि़त द्वारा न्यायालयीन परीक्षण में बढ़ा चढ़ा कर बयान दिए जाने के कारण संशोधित आरोप का अस्तित्वहीन पाया गया है। इसलिए साक्ष्य परीक्षण में लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 33 (8) व दंप्रसं की धारा 357 (ख) के प्रावधान अनुसार पीडि़त को प्रतिकर का संदाय दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। वहीं अभियुक्त को दफा 376 (क)(ख) तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 5(ड) व धारा 6 से दोष मुक्त किया जाता है।

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