दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन के शहीदों को छत्तीसगढ़ में भी श्रद्धांजली दी गई। श्रद्धांजली का सिलसिला सवेरे से रात तक जारी रहा। छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक के संगठनों ने इसमें सक्रीय भूमिका निभाई। प्रदेश के सरगुजा, सूरजपुर, कोरबा, मरवाही, राजनांदगांव सहित 15 से ज्यादा जिलों के गांव कस्बों में किसानों को श्रद्धांजली दी गई। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ सहित विभिन्न शहरों में ट्रेड यूनियनों द्वारा भी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करने और शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं। रात को गांवों में शहीदों की याद में मोमबत्ती जुलूस निकाला गया। प्रदेश में 21 किसान संगठनों के संयुक्त संगठन छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने जिओ उत्पादों, अम्बानी, अडानी के मॉल्स और पेट्रोल पम्पों का बहिष्कार करने की अपील भी आम जनता से की है।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के सुदेश टीकम, आलोक शुक्ला, आनंद मिश्रा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के संजय पराते, ऋषि गुप्ता, नंद कश्यप आदि ने संयुक्त रुप से जानकारी देते हुए बताया कि पूरे प्रदेश में आज गांवों, खेत, खलिहानों और मनरेगा स्थलों पर सभाएं की गई। ग्रामीण जन समुदाय को इन कृषि कानूनों से किसानों को होने वालें नुकसान व विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा की जा रही दमनात्मक कार्रवाई की जीनकारी भी दी गई। बताया गया कि किसान आंदोलन के दौरान देश के 35 से ज्यादा किसानों के शहीद हो गए है। सभाओं में किसान आंदोलन के नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार से अपनी हठधर्मिता छोडऩे और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के अनुसार इन कानूनों की वैधता का परीक्षण होने तक इनके अमल पर रोक लगाने की भी मांग की।