दुर्ग (छत्तीसगढ़)। रिसाली में स्व-सहायता समूह की महिलाएं आकर्षक डिजाइनर दीये बना रही हैं। बाजार की जरूरत के मुताबिक इन्होंने अपना कदम डिजिटल प्लेटफार्म पर रखा है और प्रोडक्ट आनलाइन उपलब्ध करा रही है। इस्पात नगर, पुरेना, डूंडेरा की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे से मुलाकात की। महिलाओं ने कलेक्टर को बताया कि दीवाली की जरूरतों के मुताबिक सामग्री समूहों द्वारा तैयार की जा रही है। इनमें दीयों के सेट से लेकर पूजा की थाल तक अनेक प्रकार की पूजन सामग्री है। इसके साथ ही दीवाली की सजावट के लिए बनाई गई सामग्री है।
कलेक्टर ने उत्पादों की तारीफ की और कहा कि निश्चित ही बाजार में ये लोगों को काफी पसंद आएंगे। इस दौरान महिलाओं ने बताया कि हमने जब ये प्रोडक्ट बनाने का सोचा था तब मन में ख्याल आया कि कोरोना के चलते लोग बाजार जाने से हिचकेंगे, इसलिए हम अपने उत्पाद आनलाइन भी उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद हमने इसका निश्चय किया और लोकल कार्टज से संपर्क किया। अब लोकल काट्र्ज के माध्यम से हम अपने उत्पादों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। हम लोगों ने उत्पाद की गुणवत्ता का ध्यान तो रखा ही है पैकेजिंग भी आकर्षक की है। जब उपभोक्ता के हाथों हमारा आर्डर पहुंचता है तो इसकी आकर्षक पैकेजिंग देखकर उन्हें बहुत खुशी होती है फिर अंदर तो अच्छी गुणवत्तायुक्त सामग्री उन्हें मिलती ही है। महिलाओं ने बताया कि फिलहाल काफी लोग हमारे उत्पाद देखने आ रहे हैं और इसे खरीद रहे हैं। अच्छा फीडबैक मिलने पर फोन से भी बुकिंग करा रहे हैं। इस दौरान रिसाली नगर निगम कमिश्नर श्री प्रकाश सर्वे भी उपस्थित थे।
40 हजार दीये बिक्री के लिए उपलब्ध
रिसाली निगम कमिश्नर ने बताया कि रिसाली में चालीस हजार दीये समूह की महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे हैं। इन्हें बिक्री के लिए उचित बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही व्यवसायियों से मार्केट लिंकेज के संबंध में भी प्रयास किए जा रहे हैं। इनके पास अच्छी वैरायटी होने के चलते बाजार की सारी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं। कलेक्टर डॉ. भुरे ने इन महिलाओं को कहा कि इसी तरह बाजार की जरूरतों के अनुरूप उत्पाद उपलब्ध कराएं।
तेल कम और इस्तेमाल के बाद खाद
महिलाओं ने बताया कि ये डिजाइनर दीये गोबर से बने हैं पूरी तरह इको फ्रेंडली। ये तेल कम सोखते हैं और इनका इस्तेमाल होने के बाद इन्हें गमले में डाल सकते हैं। यह खाद की तरह का काम करेंगे। इस तरह त्योहार की खुशी के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण में भी यह दीये उपयोगी साबित होंगे।