हाथरस गैंगरेप, पुलिसिया कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाने वाले डॉक्टर को नौकरी से निकाला गया

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में पिछले महीने एक दलित युवती से कथित गैंगरेप, बर्बरता और हत्या के मामले में पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाने वाले अलीगढ़ के डॉक्टर अजीम मलिक को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की नौकरी से निकाल दिया गया है। डॉ. मलिक अस्पताल में इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात थे। हाथरस पीड़िता की एमएलसी रिपोर्ट भी इन्हीं की टीम ने बनाई थी। डॉ. मलिक के अलावा उनकी टीम के सहयोगी डॉ. ओबेद हक को भी पद से बर्खास्त कर दिया गया है। डॉ. हक ने पीड़िता के मेडिकल लीगल केस रिपोर्ट पर दस्तख़त किए थे।

यूपी पुलिस ने पीड़िता की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़िता के साथ रेप नही हुआ है। जिस पर सवाल उठाते हुए डॉ. मलिक ने कहा था कि एफएसएल का सैंपल रेप के 11 दिन बाद लिया गया था, जबकि सरकारी गाइडलाइन्स के मुताबिक़ रेप के 96 घंटे के भीतर लिए सैंपल में ही रेप की पुष्टि हो सकती है। मंगलवार को जेएनएमसीएच के सीएमओ डॉ. शाह ज़ैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी। 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि डॉ. मलिक और डॉ. ओबेद के निष्कासन का हाथरस केस से लेना देना नहीं है। कोविड की वजह से कुछ डॉक्टर बीमार पड़ गए थे जिसकी वजह से इन दोनों डॉक्टरों को लीव वेकेंसी पर लाया गया था और अब इनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है। वहीं, डॉ अज़ीम मलिक का कहना है कि हाथरस केस में मीडिया से बात करने की उन्हें सज़ा दी गई है।