नयी दिल्ली: सरकार देश की सबसे बड़े जीवन बीमा कंपनी एलआईसी में 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े बजट अंतर को भरने के लिए संसाधनों की तलाश में हैं। सरकार हिस्सेदारी बेचने के लिए संसद में उस अधिनियम को संशोधित करने की भी योजना बना रही है, जिसके तहत एलआईसी की स्थापना कि गयी थी। जहाँ तक एलआईसी के आईपीओ का सवाल है तो एलआईसी के इश्यू की टाइमिंग बाज़ार की स्थितियों पर निर्भर करती है। बता दें कि एलआईसी की हिस्सेदारी की बिकवाली किस्तों में किए जाने की संभावना है।
जानकारी के मुताबिक सरकार बजट के अंतर को कम करने के लिए एलआईसी में इतनी ज़्यादा हिस्सेदारी बेचना चाहती है। हालांकि सरकार को आईपीओ से पहले संसद के एक्ट को बदलना होगा। क्योंकि एलआईसी का गठन इसी एक्ट के तहत किया गया था। फिलहाल एलआईसी में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 80 हज़ार करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। इसके लिए एलआईसी आईपीओ की तैयारी कर रही है।
देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी एलआईसी सालाना 2 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश करती है। इसमें से 50-60 हज़ार करोड़ शेयर बाज़ार में और बाक़ी डेट बाज़ार तथा अन्य में निवेश किया जाता है। सरकार ने डेलॉय और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स को एलआईसी के आईपीओ के लिए नियुक्त किया है। यह दोनों एडवाइजर्स एलआईसी के कैपिटल स्ट्रक्चर का वैल्यूएशन करेंगे।