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केंद्र सरकार का नया किसान बिल, विरोध में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली। सरकार के कृषि अध्‍यादेशों को लेकर केंद्र की एनडीए सरकार के सहयोगी दलों में मतभेद नजर आने लगे हैं। राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्रीहरसिमरत कौर बादल ने इसके विरोध में इस्‍तीफा दे दिया है। किसानों से संबंधित केंद्र सरकार के तीन विधेयकों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष तेजी से फैल रहा है। केंद्र की एनडीए सरकार के सहयोगी अकाली दल ने इस मामले में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया और संसद के मॉनसून सत्र में आने वाले इन विधेयकों के खिलाफ वोट करने को कहा है।
पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं। सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। अकाली दल का कहना है कि किसानों की पार्टी होने के चलते वो ऐसी किसी भी चीज को समर्थन नहीं दे सकते, जो देश, खासकर पंजाब के अन्नदाताओं’ के खिलाफ जाता हो। सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों की पार्टी है और वो उनकी हितों की रक्षा करने के लिए उनकी पार्टी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।
संसद में पारित हुआ बिल
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया।
खिलाफत में उतरे हैं किसान
पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ रास्‍ता जाम कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को कोरोना वायरस से भी बदतर बताया है। उन्‍होंने कहा कि यदि इन्‍हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए राज्‍य के किसानों ने मांग की है कि इन्‍हें वापस लिया जाए। किसानों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि पंजाब का जो भी सांसद इन विधेयकों का पार्लियामेंट में समर्थन करेगा, उसे गांवों ने घुसने नहीं दिया जाएगा।