दुर्ग (छत्तीसगढ़)। कोरोना संकटकाल में केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना वारियर्स का दर्जा दिया है। उनके कार्यो की सराहना कर विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं द्वारा कोरोना वारियर्स का जगह-जगह सम्मान किया जा रहा है, लेकिन दुर्ग शहर में एक घटना ने जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के उस दावे की पोल खोलकर रख दी है कि कोरोना वारियर्स के प्रति वे कितने गंभीर है। इसका ताजा और बड़ा उदाहरण स्वास्थ्य कर्मी विजय कुमार यादव गिरधारी नगर निवासी की सामने आई मौत की घटना है।
मौत को लेकर परिजनों ने चिकित्सकीय कार्य में लापरवाही का आरोप भी लगाया है। हद तो तब हो गई जब अपने पति व पिता की मौत से दुखी परिजनों को स्वास्थ्य कर्मी का मरच्र्युरी से शव लेने काफी भागदौड़ करनी पड़ी। स्वास्थ्य विभाग ने मृतक को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट में पॉजिटिव बताया है। कोरोना वारियर्स कहे जाने वाले एक स्वास्थ्य कर्मी के परिजनों को जब इन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है तो एक आम आदमी को बेहत्तर चिकित्सा सेवा का लाभ व स्वास्थ्य विभाग की अन्य व्यवस्था उपलब्ध होने की कल्पना करना संभव नहीं है। जो चिंतनीय है।
मिली जानकारी के मुताबिक मृत स्वास्थ्य कर्मचारी विजय कुमार यादव नगपुरा स्वास्थ्य केन्द्र में ड्रेसर के पद पर पदस्थ था। उसके पुत्र देवेन्द्र यादव ने अपने पिता के मौत के लिए चिकित्सकीय कार्य में लापरवाही का आरोप लगाया है। इस संबंध में उन्होने जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच की गुहार लगाई है। इसके अलावा पुत्र देवेन्द्र यादव द्वारा स्वास्थ्य विभाग से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने पिता की कोरोना जांच रिपोर्ट के अलावा पिता को जिला अस्पताल लाने के दौरान अस्पताल के मुख्य द्वार से लेकर कैजुअल्टी तक की सीसीटीवी कैमरा की फुटेज की सीडी उपलब्ध करवाने की मांग की गई है। मृत स्वास्थ्य कर्मी विजय कुमार यादव के पुत्र देवेन्द्र यादव ने जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को
सौंपे अपने शिकायती पत्र में कहा है कि स्वस्थ्य केंद्र नगपुरा जिला दुर्ग में कार्यरत स्व. विजय कुमार यादव की डियूटी के दौरान 25अगस्त को आकस्मिक तबियत बिगड़ जाने से उन्हें 112 एम्बुलेंस से कार्यस्थल नगपुरा से जिला चिकित्सालय दुर्ग लाया गया। उन्हे 112एम्बुलेंस से उतारकर व्हील
चेयर में बैठाकर कैजुअल्टी लाया गया। जहां उन्हें नर्स द्वारा मेरे सामने दो इंजेक्शन लगाए गए और देखते ही देखते उनकी मृत्यु हो गई। स्वर्गीय विजय कुमार यादव स्वस्थ्य विभाग में अपनी अंतिम स्वांस तक सेवारत रहे और सेवा के दौरान ही तबियत बिगडऩे तथा जिला चिकित्सालय की लापरवाही के परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। परिवार के वे एकमात्र सहारा थे। मृत्यु उपरांत भी अपने ही विभागी कर्मचारी के इलाज में लापरवाही से लेकर शव को प्राप्त करने भटक रहे है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहा है। जिसके कारण मृतक का परिवार उपेक्षा का दंश इस विकट परीस्थिति में भी झेल रहा है।