छत्तीसगढ़ के 9 जिलों में डे-केयर कीमोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध, दीर्घायु वार्ड में हो रहा कैंसर पीड़ितों का निःशुल्क इलाज

रायपुर (छत्तीसगढ़)। प्रदेश के कैंसर पीड़ितों को अब कीमोथेरेपी के लिए बड़े शहरों में जाकर पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है। प्रदेश के नौ जिलों में दीर्घायु वार्ड के माध्यम से डे-केयर कीमोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। विभिन्न जिलों के 80 से ज्यादा मरीज़ों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत इस साल मार्च से दीर्घायु वार्ड के माध्यम से विभिन्न जिला अस्पतालों में डे-केयर कीमोथेरेपी सुविधा शुरू की गई है। पिछले पांच माह में अलग-अलग जिला अस्पतालों में कुल 80 मरीजों की कीमोथेरेपी की गई है। जशपुर में 26, जगदलपुर में 23, रायपुर में 11, सूरजपुर में नौ, नारायणपुर में तीन तथा दुर्ग, कांकेर, कोंडागांव और कोरिया में दो-दो कैंसर पीड़ितों को इस सुविधा का लाभ मिला है। मिशन द्वारा प्रदेश के अन्य जिला अस्पतालों में भी यह सुविधा जल्द शुरू की जाएगी।
कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका है। रेडियोथैरेपी और सर्जरी के साथ ही शरीर में मौजूद सूक्ष्म कैंसर सेल को मारने के लिए कीमोथेरेपी दी जाती है। निजी कैंसर अस्पतालों में एक कीमोथेरेपी कराने में 30 हजार से 40 हजार तक खर्च आता है। कीमोथेरेपी में लगने वाली दवा की कीमत भी 21 हज़ार के करीब होती है। साथ ही डॉक्टर की फीस, बेड चार्ज एवं रक्त जांच सहित अन्य खर्चों को मिलाकर इसमें बड़ी रकम खर्च हो जाती है। प्रदेश के दीर्घायु वार्ड वाले जिला अस्पतालों में यह सुविधा निःशुल्क है। कैंसर पीड़ित मरीज को स्मार्ट कार्ड या राशन कार्ड के साथ सिर्फ पूर्व में चल रहे उपचार के कागजात अपने साथ लाना पड़ता है।
ऐसे कैंसर पीड़ित जो बाहर जाकर अपना इलाज करा पाने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें अब अपने ज़िले या पड़ोस के ज़िले के ज़िला अस्पताल में यह सुविधा मिल रही है। इन अस्पतालों में मुँह के कैंसर, ब्लड कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर व अन्य तरह के कैंसर से पीड़ित मरीज़ों को कीमोथेरेपी दी जा रही है। जशपुर जिला अस्पताल में कैंसर मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. लक्ष्मीकांत बापट ने बताया कि वे दिल्ली और उज्जैन के डॉक्टरों से परामर्श कर कीमोथेरेपी दे रहे हैं। कीमोथेरेपी का पर्याप्त डोज़ जिला अस्पताल में मौजूद है। कीमीथेरेपी के पहले की जाने वाली सभी जांच की सुविधाएं भी जिला अस्पताल में ही मौजूद हैं।